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दलेस के 28वें स्थापना दिवस पर शेखर पवार को ‘दलेस कीर्ति सम्मान’

साहित्य सम्मान समारोह 

सरिता संधू 
सह-सचिव, दलेस

लित लेखक संघ की स्थापना 15 अगस्त 1997 को शाहदरा दिल्ली में हुई। जिसमें रजनी तिलक, डॉ कुसुम वियोगी, सूरजपाल चौहान, तेज पाल सिंह तेज, डॉ तेज सिंह, डॉ शत्रुघ्न कुमार, जय प्रकाश कर्दम, श्योराज सिंह बेचैन, कृपा गौतम, धन देवी इत्यादि शामिल थे। इस वर्ष दलेस अपना 28वाँ स्थापना दिवस सम्मान समारोह नई दिल्ली F-19, मिडिल सर्कल, कनाट प्लेस के विशाल चावड़ा सभागार में दिनाँक 10 अगस्त 2024 को वैचारिक मज़बूती के साथ मनाया। जिसका विषय : ‘दलित लेखक संघ की यात्रा और उपक्रम’ रहा। इस आयोजन में लेखकों, समाज कर्मियों और शोधार्थियों ने भारी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस अवसर पर मराठी व हिन्दी दलित साहित्य के लेखक, अनुवादक और समीक्षक माननीय शेखर पवार जी को दलेस का सर्वोच्च ‘दलेस कीर्ति सम्मान’ प्रदान किया गया। जिसमें सम्मान स्वरूप- प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, शॉल के साथ पाँच हजार रुपये की नकद राशि प्रदान की गई। जो लेखक समाज से ही एकत्रित की जाती है।

उन्हें यह सम्मान दलित साहित्य में पिछले 45 वर्षों से दलित साहित्य में आलोचना व अनुवादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं बहुमूल्य योगदान के लिए दिया गया। इस कड़ी में माननीय चित्रपाल को कला के क्षेत्र में, माननीय मोहनदास नेमिशराय और माननीय जयप्रकाश कर्दम को साहित्य के क्षेत्र में सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले भी दलेस डॉ सन्तराम आर्य, मामचंद रिवाड़िया, नेतराम ठगेला को सम्मानित कर चुका है। यह सिलसिला 2015 से जारी है। दलित साहित्य में अग्रणी माने-जाने वाले साहित्यकार इस संघ से जुड़े रहे हैं। दलित लेखक संघ द्वारा प्रति वर्ष एक ऐसे दलित या गैर दलित लेखक, कलाकार, रंगकर्मी या समाज कर्मी को सम्मानित किया जाता है जिसने अपने कार्यों द्वारा दलित सामाजिक उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो।

समाज में दलेस की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दलित लेखक संघ के अध्यक्ष हीरालाल राजस्थानी ने रजनी तिलक को याद कर दलित शब्द के दायरे को अधिक विस्तृत और समावेशी बनाने पर जोर दिया और दलित वैचारिकी पर उन्होंने भोगे हुए यथार्थ के साथ देखे हुए यथार्थ का समावेश करने के लिए भी नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा क्रीमी लेयर जाति उन्मूलन का नहीं बल्कि ग़रीबी उन्मूलन का विषय है। और जाति की क्रीमी लेयर कौन है जग ज़ाहिर है। उन्होंने शेखर जी को ‘दलेस कीर्ति सम्मान’ का योग्य दावेदार बताया और कहा कि उतर भारत में सावित्रीबाई फुले को स्थापित करने में उनका योगदान प्रशंसनीय व उल्लेखनीय है।

मुख्य अतिथि दलेस के संरक्षक, वरिष्ठ साहित्यकार व दलित लेखक संघ की नींव रखने वाले डॉ. कुसुम वियोगी ने बीते वर्षों में दलेस के उतार चढ़ावों की चर्चा की। उन्होंने दलेस की वर्तमान कार्यकारिणी की प्रशंसा करते हुए नई पीढ़ी में विचार के हस्तांतरण हेतु संगठनों की उपयोगिता और महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि आचरण की शुद्धता के साथ वैचारिक शुद्धता बनाए रखना अति महत्वपूर्ण है क्योंकि समय निरंतर आपका मूल्यांकन करता रहता है।

मुख्य वक्ता राम प्रताप नीरज ने माननीय शेखर पवार को दलित लेखन क्षेत्र में आगे बढ़ते रहने की शुभकामनाओं के साथ साहित्य को आगे बढ़ाने और फलदायी बनाने में संगठनों के महत्व पर प्रकाश डाला।
दिव्या ने अपने पिता बजरंग बिहारी तिवारी के वक्तव्य का पाठ किया। उन्होंने दलित लेखक संघ को ‘समता का प्रतीक’ की संज्ञा देते हुए तीन दशकों से एकजुट होकर कार्य करते रहने पर बधाई दी।

डॉ पूरन सिंह ने अपने वक्तव्य में शेखर पवार से अपनी मुलाकात का एक रोचक अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि अनेक संगठन अपने-अपने ढंग से एक ही कार्य अर्थात बाबा साहेब के विचारों को आगे बढ़ाने का ही कार्य कर रहे हैं। साथ ही दलित आंदोलन और संगठनों में विद्यमान ब्राह्मणवाद का खंडन किया और अच्छा लेखक होने से पहले एक बेहतर इंसान बनने पर जोर दिया।

‘नेपाल के अंबेडकर’ कहे जाने वाले विशेष अतिथि विश्वेंद्र पासवान ने अपने वक्तव्य में शेखर जी को बधाई देकर कहा कि आज एक ‘ दलित पैंथर’ सम्मानित हुए हैं । उन्होंने नेपाल में दलित लेखक संघ के तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य व सांस्कृतिक सम्मेलन के आयोजन का प्रस्ताव भी रखा।

जनवादी लेखक संघ के प्रतिनिधि प्रेम तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि दूसरे संगठनों के साथ साझा कार्यक्रमों में हिस्सेदारी से यह संगठन और अधिक शक्तिशाली बनेगा । संगठन की शक्ति का एहसास संगठन में जुड़े लोगों को नहीं अपितु संगठन के बाहर खड़े लोगों को अधिक होता है । उन्होंने लेखकों से अनुरोध किया कि समाज के अंतर्विरोधों को भी अपने लेखन में शामिल करें। अशोक निर्वाण ने लेखक शेखर पवार को ‘दलित आंदोलन के शिखर’ कहकर संबोधित किया तथा अपनी संस्था द्वारा उन्हें सम्मानित करने की पेशकश की।

शेखर पवार ने अपने मंतव्य में कहा कि यह सम्मान साहित्य का सम्मान है मैं इसे ग्रहण कर गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ। दलेस साहित्य और साहित्यकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता आज की विषम परिस्थितियों में भी निभा रहा है यह कबीले तारीफ़ है। मैंने दलित साहित्य के अनेक पड़ाव देखें हैं। जिसमें संगठनों के साझा प्रयास का अभाव देखा लेकिन वर्तमान में यह साझापन साकार रूप में हमारे सामने सादृश्य है। बहुत मुश्किल होता है इतना टिके रहना।

दलेस की पूर्व अध्यक्ष डॉ राजकुमारी ने आलेख पाठ को “उजालों के कछारों से” शीर्षक देते हुए माननीय शेखर पवार के जन्म, शिक्षा, परिवार, लेखन उपलब्धियां तथा विभिन्न आंदोलनों में भागीदारी के बारे में बहुत ही सधे हुए शब्दों में प्रस्तुत किया। शेखर पवार के सम्मान में डॉक्टर पूरन सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र का पाठन किया गया। सरिता संधू द्वारा शेखर पवार द्वारा लिखी हुई दो कविताओं ‘अंश’ और ‘माझी माय’ का मराठी और हिंदी भाषाओं में पाठन किया गया । मां के बारे में लिखी कविता सुनते हुए शेखर पवार बहुत भावुक हो गए। उन्होंने अपने वक्तत्व में अपनी जीवन यात्रा के खट्टे मीठे अनुभवों जैसे सन 1983 में नौकरी ज्वाइन करने के लिए दिल्ली यात्रा का अनुभव, अपनी पहली कविता “जी तो नहीं करता अपनी आत्मकथा सुनाने का” और अपने जीवन की कई दुर्घटनाओं का जिक्र भी किया ।

दलेस महासचिव बलविंद्र सिंह बलि ने कुशल मंच संचालन द्वारा कार्यक्रम को प्रारंभ से अंत तक जीवंत बनाए रखा। उन्होंने दलेस की उपलब्धियों में लेखन कार्यशालाओं, काव्य गोष्ठियों, बहुजन नायकों की वर्षगाँठ और त्रेमासिक पत्रिका ‘प्रतिबद्ध’ के नियमित प्रकाशन से सभी श्रोताओं को अवगत कराया।

इस अवसर पर डॉ राजकुमारी द्वारा संकलित काव्य संग्रह ‘द वर्ड्स ब्रिज’ के पोस्टर का भी लोकार्पण किया गया जो दलेस का ही एक उपक्रम है। कार्यक्रम का आरंभ पदम प्रतीक के स्वागत उद्बोधन और अतिथि, मुख्यातिथि, वक्ताओं और श्रोताओं के अभिनंदन से हुआ तथा अंत में कार्यक्रम की सफलता का श्रेय देते हुए आभार प्रकट कर समारोह के समापन की घोषणा की।

इस आयोजन में अनेक लेखकों, समाज कर्मियों और शोधार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। मुख्य रूप से भीम भारत भूषण, नेतराम ठगेला, सत्य पाल सिद्धार्थ, चमन नागर, सुनीता राजस्थानी, कुसुम सबलानिया, मुहम्मद आमिर सुबहानि खान, डॉ उषा सिंह, कैलाश चंद, नेशना इंदिवर, सुमित कुमार, निशा कुमारी, प्रवीन सोथवाल, कल्पना, प्रियंका, मुहम्मद गुलज़ार अहमद, शशिकांत खोपकर, डॉ सायिद परवेज, जसपाल सिंह, सना परवीन, दिनेश कुमार, इंद्रजीत सिंह, प्रिंस, निवास भारती, राम, मोनू भारद्वाज, राहुल कुमार और अभिषेक कुमार के सानिध्य से यह समारोह सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। 

सरिता संधू
सह सचिव

(दलित लेखक संघ, दिल्ली)

कार्यक्रम की झलकियाँ 
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Comments (8)

  1. बहुत बहुत बधाई। दलेस की पूरी टीम व शेखर पवार को शुभकामनाएं

  2. दलेस के सर्वोच्च सम्मान के लिए वरिष्ठ लेखक शेखर पवार जी को हार्दिक शुभकामनाएं।
    दलेस की संपूर्ण टीम और देवसाक्षी के न्यूज पोर्टल को सराहनीय कार्य के लिए भी आत्मिक शुभकामनाएं

  3. Very Good

  4. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ शेखर पवार जी को । आपकी पूरी टीम को इस संघर्ष को अनवरत जारी रखने के लिए बधाई।

  5. दलेस की टीम की जितनी तारीफ की जाए वह कम है।

  6. बहुत सुन्दर कार्यक्रम का आयोजन। शेखर पवार जी को और सभी दलेस परिवार को बहुत बहुत बधाई।

  7. वरिष्ठ साहित्यकार शेखर पवार जी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं दलेस की टीम को आयोजन के लिए बधाई।

  8. वरिष्ठ साहित्यकार शेखर पवार जी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं शानदार आयोजन के लिए समस्त दलेस टीम को बधाई

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