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लेमनचूसः एक पैकेट खट्टी-मीठी कहानियाँ

पुस्तक समीक्षा 

 समीक्षक- संजय कुमार

वरिष्ठ लेखक 

नई पुस्तक ‘लेमनचूसः एक पैकेट खट्टी-मीठी कहानियाँ

लेमनचूस’ शब्द सुनते ही बचपन की याद जेहन में तैरने लगती है। खट्टी-मीठी लेमनचूस की गोलियों को मुंह में घंटों रख उनका आनंद सब ने बचपन में लिया है। उस खट्टी-मीठी याद को एक बार फिर ताज़ा किया है, पटना की लेखिका, हेना नक़वी की नई रचना, लघुकथा संग्रह, ‘लेमनचूसः एक पैकेट खट्टी-मीठी कहानियाँ’ ने, जो इन दिनों अपने अनूठे कवर पेज और शीर्षक की वजह से चर्चा में है। बोलचाल की हिन्दी  में लिखी गई पुस्तक में रोज़मर्रा के जीवन से जुड़ी अलग-अलग कुल 12 कहानियां हैं जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती हैं। एक ओर ऑटो की यात्रा में मिली एक शर्मीली दुल्हन का मज़ेदार वाकिया है तो दूसरी ओर कॉर्पोरेट जगत का काला सच। झूठ बोलकर बहन के सामने पकड़े गए भाई की कहानी गुदगुदाती है तो विधवा माँ की पेंशन मे हिस्सा बांटने वाले नालायक बेटा क्रोधित कर देता है। गोद ली गई बेटी की कहानी सोचने पर मजबूर कर देती है कि जीवन में सिर्फ खून के रिश्ते ही सब कुछ हैं या उनसे बढ़कर भी कोई रिश्ता है? मौत के बाद भी ममता मौसी की मौजूदगी एहसास दिलाती है कि कुछ खास मामलों में शायद कुदरत भी अपने नियम बदल सकती है।

पुस्तक: लेमनचूसः एक पैकेट खट्टी-मीठी कहानियाँ’

लेखिका: हेना नक़वी

प्रकाशक: देवसाक्षी प्रकाशन

संस्कारण: प्रथम

वर्ष: 2024

मूल्य: 185

ऐसी ही और भी दिलचस्प कहानियाँ इस कथा संग्रह का हिस्सा हैं। इनके किरदार वो लोग हैं जो किसी-न-किसी रूप में हमारे जीवन में आते हैं और खट्टी-मीठी यादें छोड़ जाते हैं। यही नहीं, तवा और थर्मोमीटर जैसी रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ें भी इस किताब में पात्रों के रूप में मौजूद हैं।  इसलिए, यह सारी कहानियाँ आपको अपनी सी लगेंगी।

 

समीक्षक 

संजय कुमार (वरिष्ठ लेखक)

लेखक भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी एवं पत्रकार है 

 

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