Description
समाज में तयशुदा परिधियाँ मनुष्य को एक ओर सुरक्षा प्रदान करती हैं तो दूसरी ओर अस्मिता को भी निर्धारित करती हैं।सरनेम जहाँ व्यक्ति नाम को पहचान देता है वहीं दूसरी ओर व्यक्ति में भेद भी पैदा करता है। उसकी सामाजिक, धार्मिक पहचान का भी पर्याय भी बनता है,जहाँ लोग सीधे जाति न पूछ पाएँ वहाँ सरनेम बताने पर ज़ोर दिया जाता है,इतना ही नहीं किसी के लिए प्रतिष्ठा तो किसी के लिए पहचान, किसी के लिए उन्नति तो किसी के लिए शोषण है सरनेम, लेकिन सबसे अधिक इसके दुष्परिणामों को सहती हैं स्त्रियाँ । जी हाँ, स्त्रियाँ।
Additional information
Dimensions | 14 × 1 × 21 cm |
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Book Types | |
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Author | Dr. Raj Kumari Rajsee |
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