माही गिल (शबनम) संस्थापक महोदया |
It is generally felt that authors publish their books and then either distribute them free of cost to family and friends, or encourage readers to purchase the book by sending a link to their book and thus The writer suffers a triple whammy. The author works for a well-known company, sells the goods as his own, and passes on the profit to the publisher. The writer neither gets name nor price. The publisher does his work only till the publication of the book, after that neither promotes the book nor encourages the author. Due to which the author’s book gets locked in the cupboard and starts sobbing.
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देवसाक्षी पब्लिकेशन की शुरुआत करने का विचार संस्थापक महोदया माही गिल(शबनम) के मन में तब आया जब उनके लेखक पति सुनील पंवार द्वारा लिखित पहली पुस्तक ‘एक कप चाय और तुम’ पाठकों के बीच सफल रही। ये पुस्तक ऐसे समय प्रकाशित हुई जब देश में प्रथम बार कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया। ऐसे समय में जब देश का अधिकांश युवा वर्ग मोबाइल फोन की लत की चपेट में था, इस पुस्तक ने न केवल युवाओं में किताबों के प्रति रुझान पैदा किया बल्कि लेखकों के लिए भी अपनी रचनाओं के प्रति उत्तरदायित्व निर्धारित करने का भरकस प्रयास किया। इस पुस्तक को वर्ष का बेस्ट सेलर बुक होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक की सफलता का सबसे बड़ा कारण था इसका विश्वव्यापी प्रोमोशन। देश के अलग अलग राज्यों और शहरों के कुछ दोस्तों ने मिलकर सोशल मीडिया के माध्यम से देश और देश के बाहर इसका खूब प्रचार किया, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। सोशल मीडिया पर धुंआधार प्रचार को देखकर मुख्यधारा मीडिया भी इससे जुड़ गई जिससे प्रचार को बल मिला। पाठकों का रिसपॉन्स भी बेहतर रहा और इसका प्रथम संस्करण हाथों हाथ बिक गया। ये संस्थापक महोदया के लिए एक बेहतर अनुभव था कि अगर बेहतर तरीके से किसी चीज को प्रस्तुत किया जाए तो सफलता हासिल की जा सकती है।
आमतौर पर ऐसा महसूस किया जाता है कि लेखक अपनी पुस्तक प्रकाशित कराते हैं और फिर या तो उन्हें मुफ्त में परिजनों एवं मित्रों को वितरित कर देते हैं, या फिर अपनी पुस्तक का लिंक प्रेषित कर पाठकों को पुस्तक खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं और इस प्रकार लेखक तिहरी मार झेलता है।
लेखक मशहूरी कंपनी की करता है, माल अपना बेचता है और लाभ प्रकाशक को पहुंचाता है। लेखक को न नाम मिलता है न दाम। प्रकाशक अपना काम पुस्तक प्रकाशित करने तक ही करता है उसके बाद न पुस्तक का प्रोमोशन करता है और न ही लेखक को प्रोत्साहित। जिससे लेखक की पुस्तक अलमारी में बन्द हो जाती है और सिसकने लगती है। आमतौर पर समाज में ये धारणा भी बन चुकी है कि मोबाइल फोन के जमाने में किताबों को कोई नहीं खरीदता, जो बिल्कुल असत्य है। अगर सही कंटेंट को सही तरीके से पेश किया जाए तो पाठकों की आज भी कोई कमी नहीं है। आवश्यकता है पुराने ढर्रे का त्याग करने की। देवसाक्षी प्रकाशन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य केवल पुस्तक प्रकाशित करना ही नहीं है बल्कि बुक प्रोमोशन करना भी है फिर चाहे वो किसी भी लेखक एवं किसी भी प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक हो। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य अलमारी में बन्द पड़े उस साहित्य को बाहर निकालना है जो दब गया है और उस लेखक को पहचान दिलाना जिसे दबा दिया गया है। श्रीमती माही गिल पंवार ने टीम एक कप चाय और तुम के सदस्यों के कार्यों से प्रभावित एवं प्रेरित होकर इस प्रकाशन की नींव रखी है जिसमें वो गुमनाम लेखकों को प्रमोट कर उन्हें पहचान दिलाने का प्रयास कर रही हैं और वो भी निःशुल्क।
इस प्रकाशन की नींव रखने में संस्थापक महोदया ‘एक कप चाय और तुम’ टीम को अग्रज मानती हैं एवं टीम के प्रमुख सदस्यों डॉक्टर राजकुमारी, ममता धवन, सपना सोनी, पूनम बागड़िया, पूर्वी सागर एवं सुनील पंवार का हार्दिक आभार व्यक्त करती है।
संस्थापक महोदया
माही गिल(शबनम)